
B. Saroja Devi: 200 से ज्यादा फिल्मों की नायिका, अब सिर्फ़ यादों में रहेंगी ज़िंदा
भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग की एक अत्यंत चमकदार हस्ती, अभिनेत्री B. Saroja Devi, अब हमारे बीच नहीं रहीं। ‘Abhinaya Saraswathi’ और ‘Kannadathu Paingili’ के नाम से लोकप्रिय सरोजा देवी का निधन सोमवार सुबह उनके बेंगलुरु स्थित आवास पर हुआ। वह 87 वर्ष की थीं और उम्र संबंधी बीमारियों से पीड़ित थीं।
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उनके निधन से दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ पूरे भारतीय सिनेमा जगत में शोक की लहर फैल गई है। (Indian Cinema loss)
चार दशकों की बेमिसाल यात्रा-
B. Saroja Devi ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1955 में कन्नड़ फिल्म ‘महाकवि कालिदास’ से की। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और तमिल, तेलुगु और हिंदी सिनेमा में खुद को एक सुपरस्टार के रूप में स्थापित कर लिया। तमिल फिल्म ‘नाडोडी मन्नन’ (1958) में एम.जी. रामचंद्रन के साथ उनकी जोड़ी ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई। उन्होंने राजकुमार, शिवाजी गणेशन, एन.टी. रामाराव, जेमिनी गणेशन जैसे दिग्गजों के साथ काम किया। (Saroja Devi death news)
उन्होंने 200 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया और लगातार 161 फिल्मों में लीड रोल निभाकर एक बेमिसाल रिकॉर्ड कायम किया।
सम्मान जो प्रेरणा बन गए-
उनकी कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर सराहा गया और उन्हें कई बड़े सम्मान प्राप्त हुए:
- पद्म श्री (1969)
- पद्म भूषण (1992)
- कलाईमामणि पुरस्कार
- बैंगलोर यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानद उपाधि
उनकी जीवनशैली, अभिनय की शुद्धता और मंच पर गरिमा ने उन्हें “अभिनय सरस्वती” की उपाधि दिलाई। (South Indian film legend)
शोक संदेश और अंतिम विदाई-
उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर प्रशंसकों और सेलिब्रिटीज़ का सैलाब उमड़ पड़ा। अभिनेत्री खुशबू सुंदर ने ट्विटर पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए लिखा:
“An era of golden cinema comes to an end. #SarojaDevi amma was the greatest of all times. Such a lovable adorable soul she was. Will miss her immensely.”
उन्होंने यह भी कहा कि B. Saroja Devi सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि सिनेमा की आत्मा थीं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा, “उनका जाना भारतीय संस्कृति और कन्नड़ सिनेमा के लिए एक बड़ी क्षति है।”
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फिल्मों से समाज तक-
B. Saroja Devi का योगदान केवल फिल्मों तक सीमित नहीं था। वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समिति की सदस्य भी रही हैं और युवा कलाकारों को मार्गदर्शन देती रहीं। उन्होंने कला को केवल प्रदर्शन नहीं, एक सेवा के रूप में जिया।
एक युग का अंत, एक विरासत का आरंभ-
B. Saroja Devi का निधन एक युग के अंत जैसा है। पर उनका योगदान, उनका अभिनय और उनका संस्कारी व्यक्तित्व आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जीवंत विरासत बनकर रहेगा।
उनका नाम, उनकी फिल्में और उनकी मुस्कान भारतीय सिनेमा के इतिहास में सदा के लिए अमर रहेंगी।